एकता
चल बढ़ चले ,साथ हम चले !
नदियों सा हम खुद रास्ता बनाते है ।
जो खड़ी रूकावटे, पहाड़ बनकर ,
इनके घमंड को तोड़ कर हम कुछ कर दिखाते हैं ।।
है ताकत जो सत्य की हमारे साथ ,
फैल उजाले सा , इस झूठ अंधेरे को मिटाते है ।
चलो साथियों कुछ कर के दिखाते हैं।
मन में है अगर विश्वास सच्चा , है भाव सेवा का ।
तो इस प्रेम में हम दसरथ माझी बन के दिखाते हैं ।
चीर के सीना पहाड़ का , हम खुद रास्ता बनाते हैं ।।
चल ओ मेरे यारा हम एक एक मिलके ग्यारह बनाते हैं ।
हमे सूरज सा ना समझना ,
जिसकी चमक में तारे भी छिप जाते हैं ।
हम तो चांद से है , जो तारों के साथ मुस्कुराते हैं ।।
ना कोई दुश्मन है , जमाने में मेरा ।
है दुखाया जिसने भी माफ कर भूला के आगे बढ़ जाते हैं ।।
चल मेरे यार , कर अग्रजों को नमन ।
शिखर पर अपना परचम लहराते है
बन के किसी बाग का सौरभ, पूरी बगिया को महकाते है ।
अब अपनी बारी है,
कुछ कर दिखाते हैं ।।
कुछ कर दिखाते है !!!!!
...sVs...
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