आह
आह कौन कहता है ! आह बस आह होती है । हर आह में जीवन की एक नई राह होती है । बीती भूली बातो को याद कर कर के ये जिंदगी और भयवाह होती है । किस्मत बदलेगी इस ताक में ,मेहनत भी नही होती है । समय बीतता है कभी दिन तो कभी रात होती है। देखते है ये लड़ाई लड़कर किस्मत कब तक सोती है ।। मंजिल नहीं मिलती,तब तक राहों से मजा लेते है । समाते मेहनत की नदी में ,समंदर को मंजिल का अंजाम देते हैं ।। हर बार टूटने का मतलब , बिखर जाना नही होता । देखते हैं ऐ सौरभ तू किस्मत का मारा कब तक रोता ।। समय ना रुकता, तो तू क्यों रुकता है । जो महान बना ,वो कब थकता है । उससे पूछो राह में , कितने चुभे पत्थर । चुन चुन कर ,उन्ही से आशियाना बनाता है ।। सोचता जो सिर्फ ,अपने लिए आम इन्सान बन जाता है । किस्मत से लड़कर ,बनाता दूसरों के रास्तों को भी आसान । वो महान बन जाता है ।। ...sVs....