इश्क की बेईमानी
डूब गया जबसे वो , उनके अधरो में ।
डूब गई नयैया ,उसकी अधर में ।
बीता काल उसका ,उसकी नज़रों में
कभी मजा ले ना पाया , सफरों में ।
जाने क्या दिखता था उस हसी के चेहरे पर ,
बीता दिन बीती रातें बस उन्ही के सपनो में ।।
चलते ,उठते , गाते, गुनगुनाते वो गाता रहता , उन्ही के किस्से अपनो में ।
छूट गया सपना , उस झूठे सपने में अपना ।
मिला ना वो झूठा सपना , जिसका अनूठा किस्सा सुन
हस पड़ा मेरा हर अपना ।।
जब सच छोड़ , झूठ देख मन ललचाया था ।
अरे ओ निक्कमे क्या तेरी आंखों में
वो तेरे सच का सच नही घूमने आया था ।।
...sVs...
❤️❤️
जवाब देंहटाएं👌👌👌
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हटाएंNice dude
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