इश्क का नज़राना

इश्क का नज़राना

कवि से नही कविता से प्यार कीजिए ।
मैने तो कर दिया आप भी इंतजार खत्म कर ,
 इश्क ए इज़हार कीजिए ।।
रचनाकार पर नही रचना पर नजर ऐतबार कीजिए ।
छिन गया सुकून मेरा ,अब तो आप मेरा शब उतार दीजिए ।।
इश्क ए जंगल घना है , इसमें ही कही मुझसे मुलाकात कीजिए । 
अगर जो मुनासिब हूं, मैं आपके लिए तो परवरदिगार से कुछ हमारी भी शिफारिस कीजिए । । 
माना की मोहब्बत नही जानता हूं मैं करना ,गुजारिश है ये इल्म भी अपनी शक्सियत से सीखने दीजिए ।
क्या पता वक्त मेरा अख्तियार कर ले !
मैं आपके मुनासिब हो जाऊ,एक मौका तो और हमे दीजिए ।। 
बस अब इतना ही कीजिए , 
ये इल्म मुझे भी सीखा दीजिए !!!!!

...sVs...

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